Thursday, January 9, 2020

बस एक दिन के लिए नशा बंद

नशे से मुक्ति हेतु अमेरिकन फ़ेलोशिप अल्कोहोलिक्स एनोनिमस ने "एक बार में एक दिन" की नई अवधारणा दी जो सबसे सफल साबित हुई है। कहावत है कि एक बार का शराबी हमेशा का शराबी ( once addict always addict ) इस कहावत के अनुसार जो एक बार शराबी हो जाता है तो चाहे उसने कितने भी दिन से नशा बंद कर के रखा हो उसके दुबारा नशा करने की संभावना हमेशा रहती है और उस पर फिर से नशा करने की तलवार लटकती रहती है। हम लोगों के अनुभव बताते है कि नशा बंद करने के 2 साल या 5 साल बाद भी लोग दुबारा नशा कर लेते है इसीलिये एक एडिक्ट को हमेशा यह बात याद रखनी चाहिए है कि वह भी किसी भी दिन दुबारा पी सकता है इसलिए उसे रोज सतर्क रहना चाहिए। इस सतर्कता को बनाये रखने के लिए अल्कोहोलिक्स एनोनिमस ने कहा कि "एक बार में एक दिन" इसके अनुसार हमें अपना नशा बंद करने का कार्यक्रम केवल एक दिन का बनाना है और वो दिन आज का दिन है, हमें केवल आज के दिन अपने नशे को पकड़ के रखना है क्योंकि हम आज भी पी सकते है। हम देखते है कि अधिकतर व्यक्ति कहते है कि अब मैं कभी नही नशा करूँगा तो उसको लगता है कि अब कभी नशा नहीं करना तो आज तो कर लेता हूँ क्योंकि कल से तो हमेशा के लिए बंद कर दूंगा पर कल कभी नहीं आ पाता है, क्योंकि 'कल' एक काल्पनिक दिन है जो कभी नहीं आता है हम कभी नहीं कह सकते कि आज 'कल' है इस कारण लोगों को "कल से बंद कल से बंद" कहते हुए सालों बीत जाते है पर नशा बंद नही होता। इस कार्यक्रम ने कहा कि बस एक दिन 'आज' के दिन बंद और 'आज' कभी नहीं जाता हम हमेशा 'आज' में होते है। केवल आज के दिन बंद करने की अवधारणा की मदद से विश्व में 50 लाख लोग सालों से नशे से दूर है ये लोग कभी नहीं कहते कि हम कभी नही पीयेंगे ये हमेशा कहते है कि हम बस आज नही पीएंगे।
राजीव तिवारी, एडिक्शन काउंसलर।

Friday, December 27, 2019

नशा व्यक्ति के विचार, व्यवहार और भावनाओं को विकृत कर देता है

नशा या एडिक्शन एक ऐसी बीमारी है जो इसके पीड़ित के शरीर के साथ साथ उसके विचार, व्यवहार और भावनाओं को भी विकृत कर देती है। इसके पीड़ित के विचार विकृत हो जाते है उसके विचार आत्मकेंद्रित और स्वार्थी हो जाते है जिस कारण वह सिर्फ अपने बारे में सोचता है और उसके विचार पूरी तरह से नकारात्मक हो जाते है वह हर कार्य, लोगों और परिस्थितियों में बुराई सबसे पहले ढूंढता है। व्यक्ति का व्यवहार पूरी तरह से उसके विचारों पर निर्भर होता है जिस व्यक्ति के विचार नकारात्मक हो जाते है उसका व्यवहार में भी नकारात्मकता हावी हो जाती है वह वो कार्य करने लगता है जो शायद वो खुद भी न करना चाहे, नशैलची को आप घर और बाहर लोगों से छोटी छोटी बातों पर लड़ते, बहस करते, तोड़ फोड़ करते देख सकते है इसके साथ साथ वो लोगों की बुराई करने लगता है कमियां निकलने लगता है और उसकी किसी के साथ नहीं पटती है। वह हर कार्य में नकारात्मक पक्ष पर ज्यादा जोर देने लगता है। जैसे जैसे एक व्यक्ति का नशा बढ़ता जाता है उसकी भावनाएं भी विकृत या ख़राब होती जाती है जिसके कारण वह हमेशा अकेलापन, अधूरापन और बैचेनी महसूस करता है और इसका कारण उसके अंदर नकारात्मक भावनाएं जैसे क्रोध, खुन्नस, भय, घृणा, अपराधबोध, हीनभावना और जलन इत्यादि भावनाओं का प्रबल होना होता है।
एक नशैलची को नशा बंद न कर पाने और दुबारा नशे  की और ले जाने में सबसे बड़ा हाथ उसकी नकारात्मक भावनाओं का होता है इसीलिए उसके भय, खुन्नस, अपराधबोध और हीनभावना के समाधान की भी आवश्यकता होती है जिसको काउन्सलिंग और साइकोथेरेपी के माध्यम से दूर किया जा सकता है। शुद्धि नशा मुक्ति केंद्र में मरीज के विचार और भावनाओं पर भी कार्य किया जाता है जिससे वे अच्छा महसूस करने लगते है और नशे से दूर बने रहते है।
Rajeev tiwari 9981665001
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Sunday, December 8, 2019

नशा क्या है ?

सामान्य बोल चाल की भाषा में शराब, गांजा, स्मैक, टेबलेट या अफीम आदि को नशा कहा जाता है किंतु चिकित्सकीय भाषा में ये सभी ड्रग्स है और इन सबका औषधीय उपयोग है जैसे अल्कोहोल, गांजा और अफीम का उपयोग दवा बनाने वाली कंपनियों द्वारा दवा बनाने में किया जाता है और लोगों द्वारा बहुत सी दवाएं जैसे नेटराबेट 10, विलियम 10, मार्फिन आदि का उपयोग नशे में किया जाता है। ये सब दवाएं है तो नशा क्या है ? चिकित्सा शास्त्र के अनुसार नशा अर्थात एडिक्शन ये एक बीमारी है ये जिसको हो जाती है वह किसी पदार्थ का अनियंत्रित उपयोग करने लगता है या कोई कार्य/ व्यवहार बार बार करने लगता है इसके कारण उसका जीवन अस्त व्यस्त हो जाता है। एडिक्शन को मुख्यतः दो भागों में बांटा जाता है:-
1. सब्स्टेन्स एडिक्शन या पदार्थ का नशा ;
2. बिहेवियरल एडिक्शन या व्यवहार का नशा।
पदार्थ के नशे में शराब, गांजा, चरस, अफीम या अन्य भौतिक पदार्थ का अनियंत्रित उपयोग होता है और वह शारीरिक और मानसिक रूप से पदार्थों पर निर्भर हो जाता है और जब बंद करना चाहता है तो उसे शारीरिक और मानसिक कष्ट होता है जिस कारण वो चाह कर भी इन्हें बंद नही कर पाता है। बेहविओरल या व्यवहार के नशे में जुआ, सोशल मीडिया, सेक्स, वीडियो गेम जैसे पब्जी आदि आते है इनकी मानसिक निर्भरता होती है व्यक्ति को केवल यह करने पर ही अच्छा लगता है और वो चाह कर भी इनको बंद नहीं कर पाता है चाहे इस कारण उनका कितना भी नुकसान हो रहा हो। आपने कई जुआरियों को देखा होगा अपना सब जुए में बर्बाद कर लेते है फिर भी बंद नहीं कर पाते है। आज निम्हान्स में एक सोशल मीडिया एडिक्शन वार्ड अलग से खुल गया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी सोशल मीडिया के एडिक्शन को बीमारी घोषित करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है।

Saturday, November 30, 2019

बच्चा नशा करने लगा है कैसे जाने ?

सावधान रहे,

स्कूल एवं कॉलेजों में नशे का कारोबार बढ़ने की बाते लगातार संबे आ रही है और लोग बच्चों को ड्रग्स सप्लाई करते हुए पकडे भी जा रहे है। यदि ऐसी किसी बात की थोड़ी सी भी भनक आपको लगे तो फ़ौरन पुलिस को सूचित करें। नहीं तो ये एक चैन होती है जो एक बच्चे से दो और दो से चार की संख्या में फैलती है। एक सर्वे बताता है कि भारत में नशा करने की औसत आयु 14 वर्ष रह गयी है। आज नशे के सौदागरों का आसान निशाना मासूम बच्चे है। यदि निम्न में से कोई लक्षण बच्चे में दिखे तो इसका मतलब है बच्चा कोई नशा कर रहा है -
1 उसकी आँखें लाल रहने लगी है ;
2 उसके सोने और जागने का पैटर्न बदल गया है अब वो देर से सोता और देर से जगता है या कभी भी सो जाता है ;
3 उसके परीक्षाओं में नंबर लगातार कम होते जा रहे है ;
4 वो पैसे की मांग अधिक करने लगा है ;
5 आपके घर में पैसे की छोटी छोटी चोरियां ज्यादा होने लगी है ;
6 चेहरा रुख रहने लगा है ;
7 सज सँवर कर रहने में, टीवी देखने और खेलने में रूचि कम हो गयी है ;
8 मुंह से बदबू आने लगी है जले की सी या अन्य केमिकल की ;
9 बच्चा दैनिक कार्यों जैसे नहाना या ब्रश करना में आलस करता है या इन्हें किये बगैर घर से निकल जाता है ;
10 उसके स्कूल से अनुपस्थिति की शिकायतें आने लगी है ;
11 पेंट या शर्ट की जेबों के कोनों में पत्तियों के छोटे छोटे पत्ते यदि दिखाई दे, क्योंकि आजकल छात्रों में गांजे का प्रचलन बड़ा है और जेब में रखने पर जेब में कौनों में कुछ हिस्सा रह जाता है ;
12 वह अपनी उम्र से बड़ी उम्र के लोगों के साथ रहने लगा है ;
13 वह बाथरूम में ज्यादा समय लगाने लगा है ;

यदि इसके अलावा कोई और भी संदिग्ध गतिविधियां दिखती है तो उस पर गौर किया जाना चाहिए क्योंकि स्कूल और कॉलेज में नशे करने का खतरा ज्यादा है यदि बच्चा यहाँ से सुरक्षित निकल जाता है तो उसके जीवन में नशा करने की संभावना कम हो जाती है ।  यदि किस तरह का नशा करने की बात पता चले तो फ़ौरन विशेषज्ञ से सलाह ले।
राजीव तिवारी, एडिक्शन काउंसलर, 9981665001
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नशे से मुक्ति में व्यायाम का महत्त्व

आज हम जानते है कि नशे से मुक्ति में व्यायाम कैसे सहायक होता है। शुरुआत हम इस बात से करेंगे कि नशा करने के कारण लगभग 25% नशा करने वाले लोगों में नशे के ऊपर शारीरिक और मानसिक निर्भरता आ जाती है जिस कारण यदि वे नशा बंद करते है तो उन्हें शारीरिक और मानसिक कष्ट होता है विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार यह निर्भरता एक बीमारी है जिसे एडिक्शन का नाम दिया गया है। मानसिक कष्ट से तात्पर्य नशा बंद करने पर सब बुरा लगना, जीवन नीरस लगना, अकेलापन महसूस होना, बैचेनी और चिड़चिड़ापन होना है। नशा करने का कारण यह है कि नशा करने से अच्छा महसूस होता है इस लिए इतने लोग नशा करते है और नशा करने से अच्छा महसूस होने का कारण मादक पदार्थों में ऐसे गुण होना है कि जब लोग इनका सेवन करते है तो उनके मस्तिष्क में 'डोपेमिन' नाम का हार्मोन निकलता है यह हार्मोन एक सकारात्मक प्रभाव देता है जिससे लोगों को अच्छा महसूस होता है। यह निर्भरता होने के बाद व्यक्ति जब तक नशा न कर ले उसको कुछ भी हो जाये अच्छा नही लगता है और बुरा महसूस होता है क्योंकि उसके मस्तिष्क में डोपेमिन हार्मोन बिना नशे के नहीं बन पाता है जिस कारण उसको अच्छा महसूस करने के लिए न चाह कर भी दुबारा नशा करना पड़ता है। हमने देखा होगा की एक शराबी दारू पीकर पड़ौसी की शादी में भी जम नाच देगा पर अगर उसके खुद के घर में शादी है और अगर वो दारू न पी पाये तो उसे देखकर लगेगा वो किसी गमी में आया है।
यहाँ नशा बंद करने वाले व्यक्ति को अच्छा महसूस करने के लिए व्यायाम सहायक सिद्ध होता है क्योंकि जब हम व्यायाम करते है तो हमारे मस्तिष्क में 'एंडोर्फिन' नाम का हार्मोन निकलता है जो हमें अच्छा महसूस करवाता है और उसको बुरा महसूस होना कम हो जाता है जिस कारण उसके दुबारा नशे की तरफ जाने की संभावना कम हो जाती है,इसीलिए नशा बंद करने वालों को व्यायाम अवश्य करना चाहिए।
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Thursday, November 28, 2019

नशे के सौदागरों को नशा पीड़ित का पत्र

प्रिय नशे के सौदागरों,
मुझे आज तुम्हे ये पत्र लिखते हुए तुम पर गुस्सा नही तरस ज्यादा आ रहा है क्योंकि जो काम तुम कर रहे हो उसके अंजाम की तुम्हे खबर भी नहीं है। आज जो तुम थोड़े नही बहुत सारे पैसे जल्दी से कमाने के लिए ये जो ज़हर समाज में बेच रहे हो ये केवल हमारे बच्चों को ही नहीं मारेगा इसमें तुम्हारे बच्चे भी मारे जायेंगे इसका मैं खुद गवाह हूँ। यकीन नहीं हो तो पंचशील नगर में स्मैक बेचने वाली शैली के परिवार का हाल जान लो। उसने आज से 15 साल पहले जल्दी अमीर बनने और अपने दो बच्चे जिसमे एक बेटा और एक बेटी थे को अच्छी सुविधाएँ देने के लिए स्मैक बेचना शुरू किया उसने पैसा भी कमाया पर जल्द ही उसका बेटा भी स्मैक की चपेट में आ गया और उसकी बेटी ने उसी के स्मैक के ग्राहक से शादी कर ली। आज उसका बेटा और दामाद स्मैक के ओवरडोज़ से मारे जा चुके है और उसकी बेटी और बहू दोनों विधवा हो चुकी है। ये हश्र तुम्हारे बच्चों का भी हो सकता है।
तुम्हे अंदाजा तो होगा ड्रग्स निरोधक कानून एन डी पी एस एक्ट का जिस दिन फंसोगे न तो महीनों जेल में सड़ोगे ये सही बात है कि गवाहों के बयान पलटने के कारण शायद कुछ महीने में बाहर आ जाओ पर उसके बात समाज तुम्हे किस गन्दी नजरों से देखेगा इसकी तुम्हे कल्पना भी नहीं है कोई तुम्हारे बच्चों से शादी भी नहीं करेगा।
देखना तुम्हारे बच्चे भी तुम्हे देखकर ड्रग्स बेचने के कारोबार में लग जायेंगे और ईश्वर ने चाहा तो एक दिन तुम्हारे बच्चे भी ड्रग्स के साथ पकडे जाकर तुम्हारे साथ जेल जायेंगे फिर क्या जवाब दोगे तुम उन्हें ?

अभी तो तुम्हे बेचने में मज़ा आ रहा है क्योंकि मिलीभगत से तुम लोग बेच ले रहे हो पर कभी तुमने सोचा है कि आसान तरीके से ज्यादा पैसा कमाने की तुम्हारी लालसा के कारण तुम्हारी ड्रग्स से कितने परिवार बर्बाद हो रहे है, कितने लोगों के सपने टूट रहे है जो उन्होंने अपने बच्चों के भविष्य के लिए देखे थे और खुद के लिए देखे थे, कितने बच्चे नर्क का जीवन जीने को मजबूर हो गए है, कितने लोगों के घरों के चिरागों को तुमने बुझा दिया है, ड्रग्स के नशे में लोगों से कितने अपराध हो रहे है और कितने लोग बीमारियों से ग्रसित हो गए है ? आज पैसे की चमक के कारण तुम इस बारे में नहीं सोच पा रहे हो पर देखना एक दिन तुम्हारा जमीर तुम्हे जरूर कटोचेगा कि ये मैंने क्या कर दिया, फिर उससे कैसे भागोगे उसको पैसा नही खिला पाओगे।

अभी तुम्हे फिलीपींस का हाल शायद मालूम नहीं होगा जहाँ के राष्टपति रोड्रिगो दुतेर्ते ने शासन सँभालते ही हजारों ड्रग्स बेचने वालों को ढूंढ ढूंढ कर घरों से निकल निकाल कर मार डाला था ईश्वर करे ऐसा कोई शासक भारत में भी आ जाये और तुम सभी अपने परिवार सहित मार डाले जाओ क्योंकि मैं जानता हूँ तुम लोगों के कारण लाखों लोग मर रहे है। ये मौतें नहीं तुम्हारे द्वारा की गई हत्याएं है। तुम लोगों का पूरा परिवार नशे के कारोबार में लिप्त रहता है तुम्हे तुम्हारे परिवार सहित मार दिया जाना चाहिए।
ईश्वर से प्रार्थना है कि इससे पहले कि ये सब तुम्हारे साथ हो तुम लोग सुधर जाओ और ड्रग्स बेचने के काम से तौबा कर लो।

                                            तुम्हारा शुभचिंतक
                                               राजीव तिवारी
                                   तुम्हारी बेची ड्रग्स का  शिकार।

Sunday, November 3, 2019

अच्छे पढ़े लिखे और समझदार लोग भी नशे में फंसने के बाद नहीं निकल पाते है।

हमें अपने बीच लगातार ऐसे लोग दिखते है जो लोगों को स्वास्थ्य संबंधी सलाह दे रहे होते है, पढे लिखे होते है जैसे डॉक्टर, इंजीनियर, आई ए एस, आई पी एस जो समाज में अच्छा कार्य कर रहे होते है कसरत भी लड़ते है और अपने स्वास्थ्य का ध्यान भी रखते है पर वे भी सिगरेट और गुटखा खाते हुए दिख जाते है। क्या कारण है इसका ? इसके नुकसानों को जानते हुए भी ये लोग क्यों पी रहे है ? इस बात की गहराई में जायेंगे तो जानेंगे की ये लोग भी अब इसको नही पीना और खाना चाहते है पर जिस छोटी उम्र में इन्होंने किसी दूसरे छोटे बच्चे के कहने पर जिज्ञासावश लेना शुरू किया था उस वक्त ये इसके नुकसानों के बारे में नहीं जानते थे और न ही जीवन भर पीना चाहते थे वे तो बस एक बार लेकर देखना चाहते थे। किंतु जैसा की तम्बाखू के अंदर गुण है उसको लेने के बाद मस्तिष्क में डोपेमिन नाम का हार्मोन निकलता है जो व्यक्ति को अच्छा महसूस करवाता है और फिर वो इसमें फंसता चला जाता है।
तंबाकू की शारीरिक और मानसिक निर्भरता बहुत अधिक होती है इसको लेना शुरू करने के बाद यह बहुत तेजी से व्यक्ति की निर्भरता बढ़ाता है इसकी निर्भरता कोकीन और हेरोइन की तरह ही होती है जिस कारण यदि वह बंद करना भी चाहे तो उसको शारीरिक निर्भरता के कारण शारीरिक कष्ट होता है और उसके मस्तिष्क के कारण कुछ भी अच्छा नही लगता है जिस कारण वो चाह कर भी उसको बंद नही कर पाता है।
इसको एक बार शुरू करने के बाद चिकित्सा और विशेषज्ञ की मदद के बाद भी छोड़ना मुश्किल होता है इसीलिए इस ज़हर से समाज को बचाने के लिए आवश्यक है कि हम बच्चों को इसके नुकसानों के बारे में शुरू करने से पहले जागरूक करें क्योंकि यदि उन्होंने एक बार इसे ले लिया तो फिर बंद करना असंभव जैसा है । देश् में हर साल 20 लाख लोग तम्बाखू से मर रहे है पर वे इसे बंद नही कर पाते।
धूम्रपान कैसे बंद करें जानने के लिए नीचे दिए लिंक पर क्लिक करें-
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बस एक दिन के लिए नशा बंद

नशे से मुक्ति हेतु अमेरिकन फ़ेलोशिप अल्कोहोलिक्स एनोनिमस ने "एक बार में एक दिन" की नई अवधारणा दी जो सबसे सफल साबित हुई है। कहावत ह...